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साया और सिन्दूरी इश्क़

सेंट जूड्स हाई स्कूल की पुरानी इमारत में एक अजीब सी खामोशी रहती थी। यह इमारत शहर के बाकी स्कूलों से अलग थी यहाँ की ईंटें सदियों पुरानी थीं, और दीवारों में न जाने कितने किस्से दफ़न थे। तीसरी मंज़िल का पश्चिमी हिस्सा, जहाँ पुराना केमिस्ट्री लैब और लाइब्रेरियन का टूटा हुआ कमरा था, पूरी तरह से बंद रहता था। स्कूल के बच्चे उसे ‘द साइलेंट विंग’ कहते थे, और वहाँ जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था।

हमारी कहानी के नायक आरव का दिल भी इसी इमारत की तरह ही चुपचाप और रहस्यमय था। वह 12वीं कक्षा का सबसे शांत और सबसे अच्छा चित्रकार था। उसकी दुनिया केवल रंगों और एक लड़की सिया के इर्द-गिर्द घूमती थी।

सिया, क्लास की सबसे ख़ूबसूरत लड़की थी। उसकी आँखें गहरी थीं, मानो उनमें सदियों पुराना कोई अँधेरा छिपा हो। वह कम बोलती थी, और उसकी मुस्कान किसी धुंधली याद की तरह लगती थी। आरव ने पहली बार उसे तब देखा जब वह एक अकेली बेंच पर बैठकर बारिश को निहार रही थी। उस दिन से, आरव की क़लम में सिर्फ़ सिया ही उतरने लगी थी।

उनका प्रेम किसी आम स्कूली रोमांस जैसा नहीं था। वे कभी कैंटीन में नहीं मिलते थे, न ही मैदान में खुलकर बातें करते थे। उनका प्रेम अँधेरी गलियों का था, जहाँ स्कूल के शोर का कोई नामोनिशान नहीं होता था। उनकी मुलाक़ात की जगह भी अजीब थी- वह साइलेंट विंग के ठीक नीचे एक पुराने उपकरण स्टोर-रूम के पीछे था, जहाँ टूटी हुई मेज़ें और किताबों के ढेर लगे थे।

एक शाम, जब सूरज डूब चुका था और स्कूल में सिर्फ़ सिक्योरिटी गार्ड की सीटी की आवाज़ गूँज रही थी, आरव सिया का इंतज़ार कर रहा था। सिया आई, हमेशा की तरह, एक सफ़ेद, हल्की पोशाक में।

“तुम हमेशा इतनी ठंडी क्यों रहती हो, सिया?” आरव ने उसका हाथ छूते हुए पूछा। उसका हाथ बर्फ़ की तरह ठंडा था, जैसे उसने अभी-अभी फ़्रीज़र से कोई चीज़ निकाली हो।

सिया ने सिर्फ़ मुस्कुरा दिया। “शायद यह मेरे प्यार की ठंडक है, आरव। यह इतना गहरा है कि मुझे बाहर के तापमान से फ़र्क नहीं पड़ता।”

आरव उस मुस्कान में खो गया। वह सिया के साथ बिताए हर पल को दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत कलाकृति मानता था। वह नहीं जानता था कि वह जिस कलाकृति की पूजा कर रहा था, उसके पीछे की कहानी स्याही से नहीं, ख़ून से लिखी गई थी।

खौफ की गूंज: 1995 का राज़

एक दिन, फ़िज़िक्स क्लास के दौरान, एक पुराने टीचर, श्री शर्मा, ने साइलेंट विंग के बारे में एक अनसुना किस्सा सुनाया।

“बच्चों,” शर्मा सर ने अपनी चश्मा ठीक करते हुए कहा, “वह विंग अब बंद है, लेकिन 1995 में, वह स्कूल का सबसे जीवंत हिस्सा हुआ करता था। लेकिन फिर एक दुर्घटना हुई…”

उन्होंने एक लंबी साँस ली और आवाज़ धीमी कर ली। “एक लड़की थी, लता। वह पढ़ने में बहुत अच्छी थी, लेकिन उसका दिल एक लड़के, राजीव, पर आया था। राजीव ने उसे धोखा दिया। जिस रात राजीव ने उसे सबके सामने ठुकराया, लता ने पुराने केमिस्ट्री लैब में ख़ुद को बंद कर लिया। वहाँ, उसने एक ख़तरनाक एसिड पी लिया। जब तक हम पहुँचे, वह जा चुकी थी।”

क्लास में सन्नाटा छा गया। किसी ने हिम्मत करके पूछा, “सर, क्या यह सच है कि उसकी आत्मा अब भी वहाँ भटकती है?”

शर्मा सर ने गंभीर होकर सिर हिलाया। “यह अफ़वाह है, लेकिन कहते हैं कि लता की आत्मा सिर्फ़ उन लोगों को दिखती है जो ‘सच्चे, लेकिन अधूरे प्रेम’ से गुज़र रहे हों। वह उन लड़कों से बदला लेती है, या शायद, उन्हें अपना बना लेती है।”

आरव ने ये सब सुना, लेकिन उसका ध्यान सिया पर था। सिया पीली पड़ गई थी। उसकी गहरी आँखें और भी उदास हो गईं। जब उसने आरव की ओर देखा, तो उसकी आँखों में एक अजीब सी पीड़ा थी।

“यह सिर्फ़ एक कहानी है, आरव,” सिया ने बाद में कहा, लेकिन उसकी आवाज़ काँप रही थी।

“हाँ, एक डरावनी कहानी,” आरव हँसा।

“नहीं, यह मेरी कहानी है,” सिया लगभग फुसफुसाई।

आरव ने इस बात को मज़ाक समझा, लेकिन उस रात, सिया उससे स्टोर-रूम में नहीं मिली।

चुनौती और पहला साया

अगले दिन, स्कूल के कुछ बदमाश लड़कों ने आरव को छेड़ा।

“क्या हुआ, आर्टिस्ट? तुम्हारी भूतनी माशूका कहाँ है? सुना है तुम साइलेंट विंग के पास चक्कर काटते हो,” विशाल ने हँसते हुए कहा।

आरव को ग़ुस्सा आ गया। “सिया कोई भूतनी नहीं है। वह सबसे अच्छी लड़की है।”

“अच्छा? तो हिम्मत है, तो आज रात अकेले साइलेंट विंग में जाकर दिखा। वहाँ की दीवार पर लता का नाम लिखा है, उसे छूकर आ। अगर तुम बच गए, तो हम तुम्हें मान जाएँगे।”

आरव के स्वाभिमान को चुनौती मिली थी। वह जानता था कि सिया उससे मिलने क्यों नहीं आई। वह शायद उस कहानी से डर गई थी। अगर वह यह साबित कर दे कि वहाँ कुछ नहीं है, तो सिया वापस आ जाएगी।

उस रात, ठीक 12 बजे, आरव स्कूल की टूटी हुई खिड़की से अंदर घुसा। रात का सन्नाटा ऐसा था कि उसकी अपनी धड़कन की आवाज़ भी डरावनी लग रही थी। वह धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ा। हवा में एक अजीब सी, पुरानी और सड़ी हुई, लोहे और एसिड की मिली-जुली गंध थी।

तीसरी मंज़िल पर, गलियारे में चाँद की हल्की रोशनी पड़ रही थी। धूल की मोटी परत पर उसके जूते के निशान बन रहे थे। उसे लगा, मानो उसके पीछे कोई चल रहा है। उसने पलटकर देखा—सिर्फ़ अँधेरा।

वह टूटे हुए केमिस्ट्री लैब के दरवाज़े के पास पहुँचा। दरवाज़े पर जंग लगा था, और वह चरमराहट की आवाज़ के साथ खुला। अंदर, पुरानी बेन्चें, काले बोर्ड, और ज़मीन पर बिखरे कांच के टुकड़े थे।

आरव ने डर को काबू किया और अपनी टार्च जलाई। वह उस जगह को ढूँढ़ने लगा जहाँ लता का नाम लिखा हो सकता था। तभी, उसकी नज़र एक पुराने लकड़ी के डेस्क पर पड़ी। उस पर नुकीली चीज़ से खुरचा हुआ था: (लता लव्स राजीव)

वह नाम छूकर आरव की रूह काँप गई। तभी, पास रखी एक परखनली बिना छुए ज़मीन पर गिरकर टूट गई। आवाज़ बहुत तेज़ थी, लेकिन उसमें गूंज नहीं थी।

डर के मारे उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ गए। वह भागने ही वाला था कि तभी उसकी नज़र उसी डेस्क के नीचे पड़े एक और नाम पर पड़ी, जो ज़्यादा पुराना नहीं था।

किसी ने उसी स्याही और उन्हीं अक्षरों में, बिलकुल वैसी ही लिखावट में ख़ुरचा था:(सिया लव्स आरव)

आरव अपनी जगह जम गया। यह किसकी लिखावट थी? यह सिया की लिखावट थी! लेकिन सिया को यह जगह कैसे पता? और कब उसने यहाँ यह नाम लिखा? वह इतनी घबरा गया कि उसने भागने में ही भलाई समझी। वह सीढ़ियों से नीचे कूदा और अँधेरे में गायब हो गया।

रहस्य की पर्तें

अगले दिन, आरव ने सिया से सवाल किया।

“सिया, क्या तुम कभी साइलेंट विंग गई हो? उस पुराने डेस्क पर… तुम्हारा नाम…”

सिया मुस्कुराई। “तुम गए थे, है ना? क्या तुमने डर महसूस किया?”

“सिया, बताओ! वह नाम किसने लिखा?” आरव ने ज़ोर देकर पूछा।

सिया की आँखें फिर से उदास हो गईं। “तुम क्यों डर रहे हो, आरव? क्या तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है? मैं सिर्फ़ तुमसे मिलना चाहती हूँ, और यह जगह… यह हमें जोड़ती है।”

वह टालमटोल कर रही थी, और आरव का शक अब डर में बदल रहा था। उसने ध्यान दिया कि सिया में कुछ चीज़ें लगातार अजीब थीं:

तापमान: वह हमेशा बर्फ़ जैसी ठंडी रहती थी, चाहे दिन का तापमान कुछ भी हो।

समय: वह सिर्फ़ शाम ढलने के बाद ही उससे मिलती थी। दिन की रोशनी में, वह क्लास में रहती थी, पर हमेशा उदास और अकेली।

खाना: उसने कभी सिया को कुछ खाते या पीते नहीं देखा।

पहचान: उसके दोस्तों ने कभी सिया को आरव के साथ खुलेआम नहीं देखा था।

आरव ने स्कूल के रिकॉर्ड रूम में जाने का फ़ैसला किया। उसे 1995 की ईयरबुक ढूँढ़नी थी।

रिकॉर्ड रूम धूल और पुरानी किताबों से भरा था। बड़ी मशक्कत के बाद, उसे 1995 की एक पीली पड़ चुकी ईयरबुक मिली। उसके हाथ काँप रहे थे।

उसने पन्ने पलटे – लता के बैच की तस्वीरें। एक सामूहिक फ़ोटो में, उसे लता की तस्वीर मिली।

आरव का दिल धड़कना भूल गया। उसके पूरे शरीर में एक भयानक सिहरन दौड़ गई।

लता की तस्वीर… हूबहू सिया जैसी थी।

वही गहरी आँखें, वही हल्की मुस्कान, वही पतला चेहरा। अगर लता और सिया की उम्र में 25 साल का फ़र्क न होता, तो वह लता को ही सिया मान लेता।

उसने ईयरबुक के आख़िरी पन्ने पलटे, जहाँ उस साल की ख़बरें थी।

उस ख़बर को पढ़ते ही आरव की आँखें भर आईं। लता शर्मा ने आत्महत्या की थी। उसने अपने प्रेमी के धोखे के बाद ख़ुद को मार डाला था।

तभी, नीचे एक छोटा, हाथ से लिखा हुआ नोट था। यह शायद किसी क्लास टीचर ने लिखा था:

“लता का असली नाम सिया था। राजीव ने उसे लता कहकर बुलाया, जो कि उसके नाम का पहला अक्षर था, और उसे इसी नाम से सब जानते थे। इस दुखद अंत के बाद, स्कूल ने उस विंग को बंद करने का फ़ैसला किया।”

सिया उसका असली नाम था। आरव की दुनिया घूम गई। सिया ज़िंदा नहीं थी। वह 1995 में मर चुकी थी। और वह जिससे प्यार करता था, वह लता की, सिया की, भटकती हुई आत्मा थी।

अंतिम मुलाक़ात

उसी रात, आरव स्टोर-रूम के पास पहुँचा। वह जानता था कि अब वह सच जानता है, और अब डरने का कोई फ़ायदा नहीं है। वह अब भी सिया से प्यार करता था, शायद अब और भी ज़्यादा क्योंकि अब वह सिर्फ़ उसकी थी- एक अमर प्रेम का प्रतीक

सिया वहाँ पहले से मौजूद थी। आज वह ज़्यादा ख़ूबसूरत लग रही थी, लेकिन उसकी आँखों में अँधेरे के साथ-साथ एक अजीब सी बेचैनी थी।

“तुम आ गए,” उसने धीमी आवाज़ में कहा।

“हाँ, मैं आ गया सिया। या मैं तुम्हें लता कहूँ?” आरव ने पूछा। उसकी आवाज़ में न डर था, न ग़ुस्सा, सिर्फ़ पीड़ा थी।

सिया का चेहरा उतर गया। उसकी आँखें भर आईं, लेकिन उनमें आँसू नहीं थे, सिर्फ़ पुरानी यादों का पानी था।

“तुमने पता लगा लिया,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। “तुम्हें ईयरबुक मिल गई।”

“क्यों, सिया? तुम मेरे पास क्यों आईं? क्या तुम – क्या तुम बदला लेने आई थीं? क्योंकि मैं राजीव जैसा दिखता हूँ?”

सिया तेज़ी से सिर हिलाया। “नहीं! कभी नहीं! जब तुम पहली बार इस स्टोर-रूम में अपनी आर्ट-बुक्स ढूँढ़ रहे थे, मैंने तुम्हें देखा था। तुम उतने ही अकेले थे जितनी मैं। तुम्हारी आँखों में वह दर्द था, जो एक अनचाहा प्रेम महसूस करता है। तुम मुझे अपने रंगीन कागज़ों पर उकेरते थे और मुझे तुमसे इश्क़ हो गया, आरव।

उसकी आवाज़ काँप रही थी। “राजीव तो सिर्फ़ एक गलती था। तुम मेरा सच्चा प्यार हो। तुम वह हो जिसके लिए मैं 25 साल से इस स्कूल में इंतज़ार कर रही थी, इस उम्मीद में कि कोई मेरी तन्हाई समझेगा।”

“लेकिन तुम… तुम ज़िंदा नहीं हो, सिया,” आरव ने अपना हाथ आगे बढ़ाया।

सिया ने डरते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। हमेशा की तरह, उसका स्पर्श बर्फ़ जैसा था, लेकिन इस बार आरव को उसमें प्यार की गर्मी महसूस हुई।

“मैं इस शरीर में ज़िंदा नहीं हूँ, लेकिन मेरी आत्मा तुम्हारे लिए ज़िंदा है। मैं तुम्हें कभी चोट नहीं पहुँचाऊँगी, आरव। मैं बस तुमसे प्यार करना चाहती हूँ हमेशा के लिए।”

सिया का सफ़ेद लिबास अब धुंधला होने लगा था। उसके चेहरे पर उदासी हावी थी।

“अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं, आरव,” सिया ने कहा। उसकी आवाज़ अब हवा में तैरती हुई सी लग रही थी।

“पहला रास्ता: तुम यहाँ से चले जाओ। मुझे भूल जाओ। कल सुबह तुम उठोगे, और तुम्हें याद भी नहीं रहेगा कि मैं कौन थी। तुम एक सामान्य जीवन जियो।”

“और दूसरा रास्ता?” आरव ने पूछा। उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था। वह उसे नहीं भूल सकता था।

सिया ने अपनी बर्फ़ीली उँगलियाँ आरव के गालों पर रखीं। “दूसरा रास्ता तुम मेरे साथ रहो। हमेशा। तुम भी इस स्कूल का हिस्सा बन जाओगे। हम इस अँधेरे में, इन पुरानी दीवारों के बीच, हमेशा के लिए प्यार करेंगे। लेकिन इसके लिए तुम्हें भी मुझे अपनाना होगा। मेरे इस रूप को।”

इसका मतलब स्पष्ट था- अगर आरव उसे अपनाता है, तो उसे अपनी ज़िन्दगी छोड़नी होगी। उसे भी इस साइलेंट विंग का साया बनना होगा।

आरव ने सिया की आँखों में देखा। उन गहरी, अँधेरी आँखों में उसे अपने भविष्य का ख़ौफ़ भी दिखा, लेकिन सिया के लिए उसका प्रेम इतना गहरा था कि वह उस ख़ौफ़ को भी प्यार के रंग में रंगने को तैयार था।

“मैं तुम्हें नहीं भूल सकता, सिया,” आरव ने कहा। उसकी आवाज़ दृढ़ थी, उसमें कोई झिझक नहीं थी। “एक तन्हा साया, लेकिन एक सच्चा प्यार – मुझे यह मंज़ूर है।”

सिया, मैं तुम्हें चुनता हूँ।

सिया की आँखों में पहली बार, 25 साल बाद, ख़ुशी की एक लहर दौड़ गई। उसकी बर्फ़ीली मुस्कान खिल उठी। वह धीरे से आरव के क़रीब आई।

उसने अपने बर्फ़ीले होंठ आरव के होंठों पर रखे। वह स्पर्श इतना ठंडा था कि आरव की साँसें अंदर ही जम गईं। यह चुम्बन प्रेम का था, और साथ ही मृत्यु का भी।

जब सिया पीछे हटी, तो वह और भी ज़्यादा धुंधली हो चुकी थी, मानो वह हवा में घुल रही हो।

“हमेशा के लिए आरव” उसने ख़ुशी से कहा।

आरव ने अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन उसके हाथ से सिर्फ़ ठंडी हवा गुज़र गई।

अगले दिन सुबह, सेंट जूड्स हाई स्कूल के गेट पर स्कूल प्रशासन ने एक गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। 12वीं कक्षा का एक होनहार छात्र, आरव, अचानक ग़ायब हो गया था। पुलिस ने बहुत ढूँढ़ा, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।

कहानी ख़त्म हो गई थी, लेकिन सेंट जूड्स हाई स्कूल के साइलेंट विंग में, दो रूहें हमेशा के लिए मिल चुकी थीं। जब भी कोई सच्चा प्रेमी रात के अँधेरे में उस विंग के पास से गुज़रता, उन्हें दो फुसफुसाहटें सुनाई देती थी एक बर्फ़ीली, दूसरी ख़ामोश – जो हमेशा के लिए अपने साए और सिन्दूरी इश्क़ की कहानी दोहराती रहती थी।