Bazaarekahani

हर दिन की ख़बरें और कहानियाँ, एक जगह पर

विचारों, किस्सों और खबरों के इस डिजिटल बाज़ार में — Bazaarekhani लाता है आपके लिए ताज़ा समाचार, दिल छू लेने वाली कहानियाँ, और आपकी अपनी रचनात्मक आवाज़।

सच्ची दोस्ती की परख

दोस्ती की मिसाल – राजू और मोहन

उत्तर भारत का एक गाँव था रामपुर। चारों ओर हरे-भरे खेत, छोटे-छोटे तालाब और आम के बाग़ थे। वहाँ की हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली रहती थी। लोग सुबह जल्दी उठकर खेतों में काम करते और शाम को चौपाल पर बैठकर बातें करते। इसी गाँव में दो दोस्त रहते थे राजू और मोहन। दोनों का बचपन साथ बीता था। मिट्टी के घरों की गलियों से लेकर तालाब तक, स्कूल से लेकर मेले तक, हर जगह दोनों साथ नज़र आते।

राजू स्वभाव से बहुत तेज़ और चंचल था। वह काम जल्दी करता, पर कभी-कभी जल्दबाज़ी और स्वार्थीपन भी दिखाता। दूसरी ओर मोहन बहुत धैर्यवान, शांत और मददगार था। गाँव में कोई बीमार होता तो मोहन मदद को सबसे पहले पहुँचता। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि लोग अक्सर कहते, “अगर राजू है तो मोहन ज़रूर होगा।” गर्मी का मौसम था और लकड़ियों की कमी होने लगी थी। राजू ने कहा,
“मोहन, सुना है जंगल के ऊपरी हिस्से में सूखी लकड़ियाँ बहुत मिल रही हैं। चलो वहीं से काटकर लाएँ। एक बार मेहनत करेंगे तो हफ़्तों तक चिंता नहीं होगी।”

जंगल का सफ़र और भालू का आगमन

सुबह-सुबह दोनों कुल्हाड़ियाँ और टोकरियाँ लेकर निकल पड़े। रास्ते में सरसों के पीले खेत झूम रहे थे, नदी के किनारे बच्चे खेल रहे थे और पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी। धीरे-धीरे वे जंगल में पहुँचे। जंगल बहुत गहरा और शांत था, बस पेड़ों के बीच से आती ठंडी हवा और पत्तों की सरसराहट सुनाई देती थी।

दोनों लकड़ियाँ काटने लगे। तभी अचानक झाड़ियों से खड़खड़ाहट हुई। मोहन ने कुल्हाड़ी रोक दी और बोला,
राजू, सुन कुछ आवाज़ आ रही है। राजू ने पहले हँसकर कहा, “अरे, कोई हिरन होगा।” लेकिन अगले ही पल झाड़ियों से एक विशाल काला भालू निकल आया। उसकी गुर्राहट ने दोनों के होश उड़ा दिए। राजू घबराकर तुरंत पेड़ पर चढ़ गया। उसका सारा ध्यान अपनी जान बचाने पर था। उसने एक पल भी यह नहीं सोचा कि मोहन क्या करेगा। उधर मोहन के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था। उसने तुरंत अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया। वह ज़मीन पर लेट गया, आँखें बंद कर लीं और साँस रोक ली। उसने पूरी कोशिश की कि उसका शरीर बिलकुल ढीला दिखे।

भालू धीरे-धीरे उसके पास आया। उसने अपने पंजों से मोहन को पलटा, उसकी गर्दन सूँघी, कानों के पास सूँघा और फिर यह सोचकर चला गया कि यह इंसान मर चुका है।

सीख और सच्ची दोस्ती का अर्थ

जब भालू दूर चला गया तो राजू पेड़ से नीचे उतरा। उसने माहौल को हल्का करने के लिए हँसते हुए कहा, अरे मोहन, वह भालू तेरे कान में क्या कह रहा था ? मोहन ने धीरे से साँस छोड़ी और बोला,
वह यही कह रहा था कि असली दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे, और जो मुसीबत में छोड़ दे, वह दोस्त कहलाने लायक नहीं। राजू का चेहरा उतर गया। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने सिर झुकाकर माफी माँगी और कहा, मोहन, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैं कायर साबित हुआ। अब कभी तुझे अकेला नहीं छोड़ूँगा।

जब दोनों गाँव लौटे तो उनकी कहानी पूरे गाँव में फैल गई। बच्चे चौपाल पर इकट्ठे होकर पूछने लगे कि जंगल में क्या हुआ। बुज़ुर्गो ने सबको यह घटना सुनाई और कहा,
“देखो बच्चों संकट का समय ही इंसान की असली परख करता है। सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत में साथ खड़ा रहे। डर कर भाग जाना आसान है, लेकिन सच्ची दोस्ती मुश्किल में परखी जाती है।”

गाँव के बच्चे इस बात से बहुत प्रभावित हुए। वे आपस में वादा करने लगे कि हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे। इस घटना के बाद राजू और मोहन की दोस्ती और गहरी हो गई। राजू पहले से ज़्यादा समझदार और निडर बनने लगा। उसने सीखा कि डर के आगे धैर्य और सच्चाई ही जीतते हैं। जंगल की वह घटना गाँव के लिए एक मिसाल बन गई। आज भी गाँव के बुज़ुर्ग बच्चों को यह कहानी सुनाकर बताते हैं कि “दोस्ती सिर्फ़ हँसी-ख़ुशी बाँटने का नाम नहीं है, बल्कि संकट में भी साथ खड़े होने का नाम है।”